भविष्य के प्रमुख क्षेत्र

  • उन्नत अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके भू-आकृतियों के मानचित्रण और मृदा-परिदृश्य मॉडलिंग में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस अनुप्रयोग।
  • विभिन्न मृदा पारिस्थितिक मापदंडों को समझने और भविष्य की भूमि उपयोग योजना के दायरे को बढ़ाने के लिए पेडोलॉजिकल अनुसंधान करना।
  • समकालीन मृदा डिजिटल मैपिंग तकनीकों के माध्यम से भारत और विदेशों में विभिन्न स्तरों पर मृदा सर्वेक्षण एवं मृदा का मानचित्रण
  •  मानदण्ड मृदा की उत्पत्ति, वर्गीकरण, लक्षण वर्णन,सहसंबंध एवं भविष्य की योजना के लिए इसका पर्यवेक्षण।
  • आधुनिक भू-सांख्यिकीय उपकरणों का उपयोग करके मृदा सर्वेक्षण, भूमि मूल्यांकन और भूमि उपयोग योजना में अनुसंधान कार्य करने के साथ उसे बढ़ावा देना।
  • भूमि क्षरण के आकलन एवं पर्यवेक्षण में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों और नवीनतम मिट्टी-आधारित जानकारी का अनुप्रयोग।
  • एईआर/एईएसआर/एईजेड/एईयू का चित्रांकन/लक्षणीकरण/परिष्करण
  • विभिन्न स्तरों पर कृषि-पारिस्थितिकी उपक्षेत्र-आधारित भूमि उपयोग योजना।
  • परिप्रेक्ष्य एवं  भागीदारीपूर्ण भूमि उपयोग योजना।
  • हाइपरस्पेक्ट्रल मृदा परावर्तन पुस्तकालय को मजबूत करना और हाइपरस्पेक्ट्रल डेटा की मॉडलिंग करना।
  • मृदा कार्बन पृच्छादन के साथ भारत एवं विश्व के मानचित्रण के लिए डेटासेट तैयार करना और परिप्रेक्ष्य योजना के लिए मृदा कार्बन की मॉडलिंग करना।
  • भूमि जियोपोर्टल का संवर्धन एवं  एप्लिकेशन सेवाओं का विकास।
  • मिट्टी और भूमि की गुणवत्ता का मूल्यांकन एवं पर्यवेक्षण।